CAA Law: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू कर दिया है। साल 2024 के लोक सभा चुनाव से पहले इसे सरकार के एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। इस कानून के तहत तीन पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के छह जातीय अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। आइए जानते हैं इस कानून के बारे में विस्तार से।
CAA क्या है?
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का उद्देश्य धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत में शरण लेने वाले लोगों की रक्षा करना है। यह अवैध आप्रवासन उपायों के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है। सीएए ने हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, पारसी और ईसाई धर्म का पालन करने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अप्रवासियों के लिए नागरिकता नियमों में ढील दी।
भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए पहले भारत में कम से कम 11 वर्ष का निवास आवश्यक था। इस अनुच्छेद को सरल बनाकर नागरिकता प्राप्त करने की अवधि एक वर्ष से बढ़ाकर छह वर्ष कर दी गई है। सीधे शब्दों में कहें तो भारत के तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के गैर-मुस्लिम अप्रवासियों को नागरिकता देने के नियमों को सरल बना दिया गया है।
अवैध अप्रवासी कौन हैं?
नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार, अवैध अप्रवासी भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं कर सकते। इस कानून के तहत, जो लोग पासपोर्ट और वीजा जैसे वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश करते हैं, या फिर अपने वैध दस्तावेज़ों के साथ भारत में प्रवेश किया था लेकिन उन पर दर्शाए गए समय से अधिक समय तक रुके रहे। उन्हें अवैध अप्रवासी माना जाता है।
क्या ये कानून मुस्लिमों के खिलाफ है?
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (Citizenship Amendment Act) मुस्लिमों के विरोध में नहीं है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश मुस्लिम देश हैं। इन देशों में मुस्लिम समुदायों का उत्पीड़न नहीं किया जाता। हालांकि, इन देशों में मुस्लिम समुदायों के अलावा दूसरे धर्म के लोगों को प्रताड़ित किया जाता है। यही वजह है कि इन तीन देशों के मुस्लिमों को भारत की नागरिकता नहीं दी गई है। यदि मुस्लिम भारत की नागरिकता लेना चाहते हैं, तो उन्हें सभी नियमों का पालन करना पड़ेगा।
नागरिकता के लिए अप्लाई कैसे करें?
पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले 6 धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता पाने के लिए indiancitizenshiponline.nic.in वेबसाइट पर जाना पड़ेगा। इसके बाद आपको यूजर रजिस्ट्रेशन पूरा करना पड़ेगा। यूजर रजिस्ट्रेशन पूरा होने के बाद आप नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (Citizenship Amendment Act) के तहत नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
नागरिकता प्राप्त करने के लिए क्या जरूरी डॉक्यूमेंट्स
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (Citizenship Amendment Act) के तहत देश की नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदन फॉर्म शेड्यूल- 1A में 9 तरह के डॉक्यूमेट्स मांगे गए हैं। वहीं, शेड्यूल-1B में 20 तरह के डॉक्यूमेंट्स और शेड्यूल- 1C में शपथ पत्र यानी कि एक एफिडेविट देना पड़ेगा। आपको सबसे पहले ये बताना पड़ेगा कि आप इन तीनों देशों के नॉन मुस्लिम शरणार्थी हैं। इसके लिए आपको वहां के पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, जमीन से संबन्धित डॉक्यूमेंट्स देने पड़ेंगे।
इसके साथ ही आप भारत सरकार का आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, पैन कार्ड, जमीनी दस्तावेज, बिजली और पानी बिल, विवाह प्रमाण पत्र इत्यादि दिखाकर भी नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए आपको इस फॉर्म के साथ ये डॉक्यूमेंट्स देने भी आवश्यक हैं। हां यदि आपके पास ये डॉक्यूमेंट्स नहीं हैं तो आप वजह भी बता सकते हैं।